लखनऊ चिड़ियाघर में 13 साल से बीमारी से लड़ते हुए बाघ किशन की मौत, जू प्रशासन दी श्रद्धांजलि

Jan 11 2023

लखनऊ चिड़ियाघर में 13 साल से बीमारी से लड़ते हुए बाघ किशन की मौत, जू प्रशासन दी श्रद्धांजलि

लखनऊ। चिड़ियाघर के बाघ 'किशन' की शुक्रवार रात मौत हो गई है। किशन को सन् 2009 में दुधवा टाइगर रिजर्व की किशनपुर रेंज से रेस्क्यू करके लखनऊ चिड़ियाघर में लाया गया था। किशनपुर रेंज से पकड़ कर लाएं जाने उसका नाम किशन रखा गया था।13 साल तक किशन कान और मुंह के कैंसर से लड़ते हुए लखनऊ प्राणि उद्यान चिकित्सालय में आखिरी सांस ली।किशन' को अंतिम विदाई में जू प्रशासन ने उसे श्रद्धांजलि दी।
साल 2009 लखीमपुर खीरी जिले के 10 गांवों में लोग शाम होने से पहले घरों में कैद हो जाते थे। महिलाएं ‘किशन’ की दहशत के कारण बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजती थी। हालत यह थी कि लोग रात में बीमार भी होते, तो अस्पताल जाने से घबराते थे। क्योंकि, किशन ने गांवों के 5 लोगों को ज़िंदा खा चुका था। इसके अलावा किशन ने दस से ज्यादा लोगों को अधमरा कर चुका था।
किशन का इलाज कर रहे लखनऊ चिड़ियाघर के वरिष्ठ चिकित्सक अशोक कहते हैं, कि एक बाघ की उम्र करीब 15 साल होती है। लेकिन, किशन ने अपनी पूरी उम्र कैंसर में बिताई। यानी कि उसने अपनी औसत उम्र से ज्यादा जीवन बिता लिया। जानलेवा बीमारी से ग्रस्त बाघ 10 साल भी नहीं जी पाता। लेकिन, किशन की इम्यूनिटी इतनी स्ट्रॉन्ग थी कि वो कैंसर से 13 साल तक लड़ता रहा।
डॉ. अशोक बताते हैं, कि लगातार ट्रीटमेंट के बाद किशन हमें पहचानने लगा था। 7 महीने पहले जब हम उसे एंटी कैंसर डोज देने पहुंचे, तो वो हमें देखकर तेजी से पूंछ हिलाने लगा। बाघों में पूंछ हिलाने का मतलब होता है कि वो खुश हैं। ट्रीटमेंट के हर स्टेज में वो कभी परेशान नहीं हुआ।
बताया जाता है, कि चिड़ियाघर में किशन के बाड़े के ठीक बगल में रेनू बाघिन का बाड़ा है। जब भी रेनू अपने बाड़े में चहलकदमी करती थी, तो किशन भी अपनी गुफा से बाहर निकल आता था। कैंसरग्रस्त किशन परेशान न हो, इसलिए रेनू को उसके बगल में रखा गया था।
लखनऊ जू के डायरेक्टर पीके मिश्रा ने बताया, कि मृत्यु से करीब एक महीने पहले से किशन ने खाना त्याग दिया था। वो सिर्फ पानी ही पीता था। हम उसे मुर्गे का मीट देते, तो वहां उसकी तरफ देखता तक नहीं था। उसे पिंजरे में पुआल का गद्दा दिया गया था, वह पूरा दिन उसी में लेटा रहता था।